Tuesday, July 16, 2013

मैं और तुम

मैं क़हता हूँ,
तुम कहते हो,
मुस्कुराते हुए पलों का,
स्वर्णिम एहसास है ये |

मैं सुनता हूँ,
तुम सुनते हो,
छन-छन छनकते हुए सुमधुर तेरे गीत,
मेरे करणो की प्यास है ये |

छोड़ दो रुंध और धुन्ध को यहीं,
स्मुध पल में खो जायें यहीं कहीं,
मैं तुम्हे देखता हूँ,
तुम मुझे देखते हो,
तस्ब्बुर भरे नयनो के,
इंतज़ार को विराम है ये |

मैं क़हता हूँ, तुम कहते हो,
मुस्कुराते हुए पलों का, स्वर्णिम एहसास है ये |

है मानस मस्तिष्क मेरा मन,
संकुचित विकृत होता पल पल,
है सहस सहारा तुम्हारा,
तुम हर पल रहो मेरे पास अचल |

मैं हंसता हूँ,
तुम हंसते हो,
असमित खुशियों का पैगाम है ये |
मैं सोचता हूँ,
तुम सोचते हो,
सुरभि सम सुरचीत ख़यालों का आदान-प्रदान है ये |

मैं क़हता हूँ, तुम कहते हो,
मुस्कुराते हुए पलों का, स्वर्णिम एहसास है ये |


मैं चलता हूँ,
तुम चलते हो,
दो राहों का एक हीं सैलाब है ये |
मैं रहता हूँ,
तुम रहते हो,
दो दिल मगर एक जान है ये |

मैं क़हता हूँ, तुम कहते हो,
मुस्कुराते हुए पलों का, स्वर्णिम एहसास है ये |

Sunday, June 2, 2013

मैं एक़ लड़की हूँ !

मैं एक़ लड़की हूँ !

पावं दबे से हैं, मुस्कान छुपी हुई सी
भाबनाएँ ओतप्रोत, एहसास कहीं भरी, कहीं रुकी सी
मैं सजी हूँ, मैं स्वरी हूँ
मैं सुसजित हूँ, पर बिखरी हूँ |
ना जाने कितने हीं अरमान तले मैं सिसकी हूँ
मैं एक लड़की हूँ !

मैं मा हूँ, ममता की,
मैं बहन हूँ, सहजता की
मैं अर्धांगिनीँ हूँ, शालीनता की,
मैं बेटी भी हूँ, कोमलता की
मैं निस्वार्थ, निसबत की सखी हूँ,
मैं एक लड़की हूँ !

उजालों से शरमाती हूँ,
भयवाह काली रातों से कतराती हूँ
बारिश में इतराती हूँ, शुष्क गर्मी से घबराती हूँ
ठंडी हवाओं से सिहर जाती हूँ |


मैं खुली हूँ,खुली खिड़की सी,
मैं दबी हूँ, दबी हुई चुपि सी
मैं तेज रफ़्तार में दौड़ती हूँ,
पर अचल समय से, इंतजार में रुकी हूँ
मैं एक लड़की हूँ !

कोई सुन रहा है मुझे, मैं निशब्ध हूँ,
कोई समझ रहा है मुझे, मैं बेसूध हूँ,
मैं पवस की बूँद हूँ,
मैं सुबह की धूध हूँ,
मैं मान हूँ, अभिमान हूँ,
कभी नादान, कभी निष्प्राण हूँ |

मैं कुछ नही मांगती,
मैं स्वयं हीं पूरी हूँ |
सब कुछ न्योछावर है मुझे,
बस प्रेम की भूखी हूँ !


हे नर, हे मानुस, हे समाज, हे देश,
पहचानो मुझे, मैं एक लड़की हूँ !


Saturday, December 15, 2012

खुद को भुला रहा हूँ मै !


है शाम , पर धुप कितनी तेज ,  हवाएं तीछन
की रात का चाँद याद आता है !
है मौसम बदला  सा , तुम बदले से ,
पर सामने समय का ठहराव नज़र आता है !

 है प्यास मेरी बड़ी और बढी    ,
फासलें है हीं , मगर फ़रेब-ए-नज़र दूरियां घटी !
खुद को भुला सा, सामने मेरी तमनाएं
चित्कारियां करती हुई मरी और चली !

 कंठ रोके , सांस तोड़े ,
स्वयं से झुके, स्वयं से रुके 
पर खुद को खुद से छुपा रहा हूँ मै !
जानता हूँ की मिथ्य है ये ,
पर खुद को भुला रहा हूँ मै !


Friday, December 9, 2011

तुम बस कह दो

है अचल सी मेरी परछाइयाँ,
लफ्ज शिथिल पड़े,
जगह हर जगह है विरानियाँ,
मेरे शब्द अधूरे हुए I

है तार संगीत के ,
अन्धकार से भरे हुए
राग बेराग से ,
हर सुर हिले हुए I

तस्बूर में है मेरी नज़रे ,
तुम झुकी हुई पलकों से , कुछ कह दो
ठहरे हुए है संगीत मेरे ,
तुम अपने सुरों का लये दो I

है सांस अटकी ,
नब्ज बंद से पड़े हुए I
निष्प्राण शरीर मेरे
मन उन्माद से भरे हुए I
है कुटिल कठिन जीवन मेरा ,
तुम अपने ह्रदय का सह दो I
हो जाऊं काफ़िर खुद से मै
तुम बस कह दो .. तुम बस कह दो I

Saturday, March 5, 2011

She is the angel of moments

Since last night, I have been seeing a dream,
Sleeping in installments, have never got this feel

She is the lady of the wonder, with beautiful eyes
Staring at her, I could simply not able to deny
She is the angel of moments, a passion of mine
When I got myself in front of her, I feel very shy

Everywhere sweet music is flowing in background,
Magical melody is blowing across around
She got lot pretty smile all over in her laughter
Her mind is corking and smarter,
and a very lovely sound.. a very lovely sound

The dream was short, but my heart got a sharp glow
Meeting was mystic, I have changed that I know..that I know

She is the angel of moments

Since last night, I have been seeing a dream,
Sleeping in installments, have never got this feel

She is the lady of the wonder, with beautiful eyes
Staring at her, I could simply not able to deny
She is the angel of moments, a passion of mine
When I got myself in front of her, I feel very shy

Everywhere sweet music is flowing in background,
Magical melody is blowing across around
She got lot pretty smile all over in her laughter
Her mind is corking and smarter,
and a very lovely sound.. a very lovely sound

The dream was short, but my heart got a sharp glow
Meeting was mystic, I have changed that I know..that I know

Saturday, February 5, 2011

Talk between two souls

Sitting inside a dark room and striving to enlighten the true meaning of your existence in this world. Huh, it always increase the vibrancy of my heart and bullish my mind at the same time. I have been trying to search myself for a long time, still I believe I am a kid with no predictive behavior when someone asks who I am ? Again the question arose in my mind and I started recollecting some of the shattered imagination which I missed during my journey to finding my core values or you can say a jaunty walk to search myself.

For me, every person have two souls, one is our mind and second is our heart. Both these souls are very much pure and emotional which know the true god and having lots of loves for mankind. Both these two souls work like a manufacturing plant, the one ‘mind’ generates beautiful ideas, thoughts and power to express the loves among mankind. In similar way, our heart generates lots of emotions, affection and power to feel the love. Both these two plants work together to attain the individual goals. Our sensory organs are managers of these plants, whatever input they sends as inputs it is getting captured, processed and produced. For example, if the inputs sent by our sensory organ is impure , the outcomes would be very much hypocritical, very far from reality. So whenever we send the signal to our manufacturing plants , ensure that signal is distilled and pure. The areas and scope of these two souls are clearly defined but sometime clashes happen and that create the dilemma in our life. This happens because of ambiguous signal sent by our sensory organ, so whenever you take the signals ..take it properly so that the outcomes would be nice and as per the quality.

Now the most important part which I highlighted in my above paragraph is setting individual goal, here I definitely not mean a goal embedded with lots of rapaciousness or a lust of lavish pleasure. I mean the goal which could praise yourself, self centric pleasure far from the hypocrite world. To set the goal..chat with your two souls, talk as much as you can. It will definitely direct you towards yourself and help you in knowing yourself. Then, you can see the true light and could be able to recognize yourself.