Friday, December 9, 2011

तुम बस कह दो

है अचल सी मेरी परछाइयाँ,
लफ्ज शिथिल पड़े,
जगह हर जगह है विरानियाँ,
मेरे शब्द अधूरे हुए I

है तार संगीत के ,
अन्धकार से भरे हुए
राग बेराग से ,
हर सुर हिले हुए I

तस्बूर में है मेरी नज़रे ,
तुम झुकी हुई पलकों से , कुछ कह दो
ठहरे हुए है संगीत मेरे ,
तुम अपने सुरों का लये दो I

है सांस अटकी ,
नब्ज बंद से पड़े हुए I
निष्प्राण शरीर मेरे
मन उन्माद से भरे हुए I
है कुटिल कठिन जीवन मेरा ,
तुम अपने ह्रदय का सह दो I
हो जाऊं काफ़िर खुद से मै
तुम बस कह दो .. तुम बस कह दो I

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