Thursday, November 25, 2010

Tyaag dun saanson ko bhi

hai sweekar mujhe har pal wo,
jisme tum basti ho..
hai sweekar har wo geet mujhe,
jise sun tum mand mand hasti ho..
Phool kya kaante bhi manjoor hain,
Agar usme tum rehti ho..
Tyaag dun saanson ko bhi,
jisme tera ehsaas nahi,
wo jivan hi kya
jisme tum mere paas nahi !

Sunday, November 14, 2010

मेरी मा तेरी बहूत याद आती है !

आज दूर सय्यारों में एक तस्वीर दिखी,
अचानक पावस की कुछ बूंदे उनसे गिरी !
बूंदे थी की तेरी ममता की शीतलता,
समुचित मान तृप्त हो गया,
जो कन कन मई बसी निर्मलता !
दूर हुआ तेरा आँचल तो क्या,
मेरे पास तेरी ममता की छावो है.
मेरे शब्द तंग हो चुके है मगर, मेरी कविताओं माओ तेरा भाव है !

शहर दूर है तो क्या, हर रोज तुम्हे समीप पाता हूँ,
अचल है मेरे गीत तो क्या, ठहरे हुए स्वर से तेरे ही गीत गाता हूँ !
अब तो चाँद दिखता है मगर, चाँदनी जलाती है,
मेरी मया नींद के समय तेरी लोडी बहूत याद आती है ,
मेरी मा तेरी बहूत याद आती है !