Monday, May 17, 2010

जो ख्वाब बुने थे कभी ,आज फिर उसे देखा तो परेशान हो गया !

यूँ क्या खता हुई हमसे की ,
की शांत मन शोगवार हो गया ,
एक मीठी एहसास के तल्ले जो सपने बुने थे ,
आज उसे फिर देखा तो परेशां हो गया !

बेहोश है हम मगर ,
होश की बातें करते हैं ,
खुद को झुट्लाये हुए हम ,
सुच ना जाने कहाँ ढूंढते है !

आज अपने को जब आईने में देखा तो
खुद से हैरान हो गया ,
जो ख्वाब बुने थे कभी ,
आज फिर उसे देखा तो परेशान हो गया !

आज पता चला ,
की सपने बुनना आसान है ,
अंधेरों में जो ख्वाब देखा था ,
वो एक मीठा एह्शास है !

मशक्कतें हजारों है ,
जीवन की सचाई जीने के लिए ,
यूँ तो बहूत दूर चले आये थे हम
अपने तमन्ना दिल में लिए ,
एक बार मंजिलों को ओर देखा ,
तो दिल फिर नादान हो गया ,
जो ख्वाब बुने थे कभी ,
आज फिर उसे देखा तो परेशान हो गया !

Sunday, May 2, 2010

ख़ास , छु सकूँ समय के उस पल को , जो खुशीआं बिखेर रहे हैं

सोचता हूँ की रोक लूं आंशुओं को ,
जो बेदम्भ होकर , पलकों से आ रहे हैl
ख़ास , छु सकूँ समय के उस पल को ,
जो खुशीआं बिखेर रहे हैं I .

यु तो तम्नाइयेन हजारों है ज़िन्दगी की ,
पर वक़्त सिमटा सा लगता है ,
कस्तियाँ चल रही है मगर ,
समंदर ठहरा सा लगता हैl

इन्ही वीरानियों में एक दिन खो जायेंगे हम ,
खोई हुई एक तस्वीर बन जायेंगे हम .
सोचता हूँ की पकर लूँ उन लम्हों को
जो मुझे हंसी दे रहे है
ख़ास छु लू समय को जो खुशियन बिखेर रहे हैl